पुनः चमकेगा दिनकर – अटल बिहारी वाजपेयी | Punah Chamkega Dinkar – Atal Bihari Vajpayee
आज़ादी का दिन मना,नई ग़ुलामी बीच;सूखी धरती, सूना अंबर,मन-आंगन में कीच;मन-आंगम में कीच,कमल सारे मुरझाए;एक-एक कर बुझे दीप,अंधियारे छाए;कह क़ैदी कबिरायन अपना छोटा …
आज़ादी का दिन मना,नई ग़ुलामी बीच;सूखी धरती, सूना अंबर,मन-आंगन में कीच;मन-आंगम में कीच,कमल सारे मुरझाए;एक-एक कर बुझे दीप,अंधियारे छाए;कह क़ैदी कबिरायन अपना छोटा …
माँ के सभी सपूत गूँथते ज्वलित हृदय की माला।हिन्दुकुश से महासिंधु तक जगी संघटन-ज्वाला। हृदय-हृदय में एक आग है, कण्ठ-कण्ठ में एक राग है।एक ध्येय है, एक स्वप्न, …
यह परम्परा का प्रवाह है, कभी न खण्डित होगा।पुत्रों के बल पर ही मां का मस्तक मण्डित होगा। वह कपूत है जिसके रहते मां की दीन दशा हो।शत भाई का घर उजाड़ता जिसका महल …
कोटि-कोटि आकुल हृदयों मेंसुलग रही है जो चिनगारी,अमर आग है, अमर आग है। उत्तर दिशि में अजित दुर्ग सा,जागरूक प्रहरी युग-युग का,मूर्तिमन्त स्थैर्य, धीरता की प्रतिमा …
जीवन की डोर छोर छूने को मचली,जाड़े की धूप स्वर्ण कलशों से फिसली,अन्तर की अमराईसोई पड़ी शहनाई,एक दबे दर्द-सी सहसा ही जगती ।नई गाँठ लगती । दूर नहीं, पास नहीं, …
किसी रात कोमेरी नींद अचानक उचट जाती हैआँख खुल जाती हैमैं सोचने लगता हूँ किजिन वैज्ञानिकों ने अणु अस्त्रों काआविष्कार किया थावे हिरोशिमा-नागासाकी के भीषणनरसंहार …
जीवन बीत चला कल कल करते आजहाथ से निकले सारेभूत भविष्य की चिंता मेंवर्तमान की बाज़ी हारेपहरा कोई काम न आयारसघट रीत चलाजीवन बीत चला हानि लाभ के पलड़ों मेंतुलता …
ख़ून क्यों सफ़ेद हो गया?भेद में अभेद खो गया।बँट गये शहीद, गीत कट गए,कलेजे में कटार दड़ गई।दूध में दरार पड़ गई। खेतों में बारूदी गंध,टूट गये नानक के छंदसतलुज सहम …
न मैं चुप हूँ न गाता हूँ सवेरा है मगर पूरब दिशा मेंघिर रहे बादलरूई से धुंधलके मेंमील के पत्थर पड़े घायलठिठके पाँवओझल गाँवजड़ता है न गतिमयता स्वयं को दूसरों की …
कवि आज सुना वह गान रे,जिससे खुल जाएँ अलस पलक।नस–नस में जीवन झंकृत हो,हो अंग–अंग में जोश झलक। ये – बंधन चिरबंधनटूटें – फूटें प्रासाद गगनचुम्बीहम मिलकर हर्ष …
मैंने जन्म नहीं मांगा था,किन्तु मरण की मांग करुँगा। जाने कितनी बार जिया हूँ,जाने कितनी बार मरा हूँ।जन्म मरण के फेरे से मैं,इतना पहले नहीं डरा हूँ। अन्तहीन …
जीवन की ढलने लगी सांझउमर घट गईडगर कट गईजीवन की ढलने लगी सांझ। बदले हैं अर्थशब्द हुए व्यर्थशान्ति बिना खुशियाँ हैं बांझ। सपनों में मीतबिखरा संगीतठिठक रहे पांव और …
ठन गई!मौत से ठन गई! जूझने का मेरा इरादा न था,मोड़ पर मिलेंगे इसका वादा न था, रास्ता रोक कर वह खड़ी हो गई,यों लगा ज़िन्दगी से बड़ी हो गई। मौत की उमर क्या है? दो …
आओ फिर से दिया जलाएँभरी दुपहरी में अँधियारासूरज परछाई से हाराअंतरतम का नेह निचोड़ें-बुझी हुई बाती सुलगाएँ।आओ फिर से दिया जलाएँ हम पड़ाव को समझे मंज़िललक्ष्य हुआ …
हरी हरी दूब परओस की बूंदेअभी थी,अभी नहीं हैं|ऐसी खुशियाँजो हमेशा हमारा साथ देंकभी नहीं थी,कहीं नहीं हैं| क्काँयर की कोख सेफूटा बाल सूर्य,जब पूरब की गोद मेंपाँव …
पंद्रह अगस्त का दिन कहता:आज़ादी अभी अधूरी है।सपने सच होने बाकी है,रावी की शपथ न पूरी है॥ जिनकी लाशों पर पग धर करआज़ादी भारत में आई,वे अब तक हैं खानाबदोशग़म की …
एक नहीं दो नहीं करो बीसों समझौते,पर स्वतन्त्र भारत का मस्तक नहीं झुकेगा। अगणित बलिदानो से अर्जित यह स्वतन्त्रता,अश्रु स्वेद शोणित से सिंचित यह स्वतन्त्रता।त्याग …
बाधाएँ आती है आएँ,घिरें प्रलय की घोर घटाएँ,पावों के नीचे अंगारे,सिर पर बरसें यदि ज्वालाएँ,निज हाथों से हँसते–हँसते,आग लगा कर जलना होगा। कदम मिलाकर चलना होगा। …