मातृभूमि – मैथिलीशरण गुप्त | Mathrubhoomi – Maithili Sharan Gupta
नीलांबर परिधान हरित तट पर सुन्दर है।सूर्य-चन्द्र युग मुकुट, मेखला रत्नाकर है॥नदियाँ प्रेम प्रवाह, फूल तारे मंडन हैं।बंदीजन खग-वृन्द, शेषफन सिंहासन है॥ करते …
नीलांबर परिधान हरित तट पर सुन्दर है।सूर्य-चन्द्र युग मुकुट, मेखला रत्नाकर है॥नदियाँ प्रेम प्रवाह, फूल तारे मंडन हैं।बंदीजन खग-वृन्द, शेषफन सिंहासन है॥ करते …
भारत माता का मंदिर यहसमता का संवाद जहाँ,सबका शिव कल्याण यहाँ हैपावें सभी प्रसाद यहाँ । जाति-धर्म या संप्रदाय का,नहीं भेद-व्यवधान यहाँ,सबका स्वागत, सबका आदरसबका …
दोनों ओर प्रेम पलता है।सखि, पतंग भी जलता है हा!दीपक भी जलता है! सीस हिलाकर दीपक कहता–’बन्धु वृथा ही तू क्यों दहता?’पर पतंग पड़ कर ही रहता कितनी विह्वलता …
किसी जन ने किसी से क्लेश पायानबी के पास वह अभियोग लाया।मुझे आज्ञा मिले प्रतिशोध लूँ मैं।नहीं निःशक्त वा निर्बोध हूँ मैं।उन्होंने शांत कर उसको कहा योंस्वजन मेरे …
मत्त-सा नहुष चला बैठ ऋषियान मेंव्याकुल से देव चले साथ में, विमान मेंपिछड़े तो वाहक विशेषता से भार कीअरोही अधीर हुआ प्रेरणा से मार कीदिखता है मुझे तो कठिन मार्ग …
तेरे घर के द्वार बहुत हैं,किसमें हो कर आऊं मैं?सब द्वारों पर भीड़ मची है,कैसे भीतर जाऊं मैं? द्वारपाल भय दिखलाते हैं,कुछ ही जन जाने पाते हैं,शेष सभी धक्के खाते …
उस काल मारे क्रोध के तन काँपने उसका लगा,मानों हवा के वेग से सोता हुआ सागर जगा।मुख-बाल-रवि-सम लाल होकर ज्वाल सा बोधित हुआ,प्रलयार्थ उनके मिस वहाँ क्या काल ही …
नर हो, न निराश करो मन को कुछ काम करो, कुछ काम करोजग में रह कर कुछ नाम करोयह जन्म हुआ किस अर्थ अहोसमझो जिसमें यह व्यर्थ न होकुछ तो उपयुक्त करो तन कोनर हो, न …
नर हो न निराश करो मन कोकुछ काम करो कुछ काम करोजग में रहके निज नाम करोयह जन्म हुआ किस अर्थ अहोसमझो जिसमें यह व्यर्थ न होकुछ तो उपयुक्त करो तन कोनर हो न निराश करो …
हम कौन थे, क्या हो गये हैं, और क्या होंगे अभीआओ विचारें आज मिल कर, यह समस्याएं सभी भू लोक का गौरव, प्रकृति का पुण्य लीला स्थल कहांफैला मनोहर गिरि हिमालय, और …