युग युग से है अपने पथ परदेखो कैसा खड़ा हिमालय!डिगता कभी न अपने प्रण सेरहता प्रण पर अड़ा हिमालय! जो जो भी बाधायें आईंउन सब से ही लड़ा हिमालय,इसीलिए तो दुनिया भर …
न हाथ एक शस्त्र हो,न हाथ एक अस्त्र हो,न अन्न वीर वस्त्र हो,हटो नहीं, डरो नहीं,बढ़े चलो, बढ़े चलो रहे समक्ष हिम-शिखर,तुम्हारा प्रण उठे निखर,भले ही जाए जन …
लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती,कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती। नन्हीं चींटी जब दाना लेकर चलती है,चढ़ती दीवारों पर, सौ बार फिसलती है।मन का विश्वास रगों …