आज हिमालय की चोटी से – प्रदीप | Aaj Himalay Ki Choti Se – Pradeep
आज हिमालय की चोटी से फिर हम ने ललकरा हैदूर हटो ऐ दुनिया वालों हिन्दुस्तान हमारा है. जहाँ हमारा ताज-महल है और क़ुतब-मीनारा हैजहाँ हमारे मन्दिर मस्जिद सिखों का …
आज हिमालय की चोटी से फिर हम ने ललकरा हैदूर हटो ऐ दुनिया वालों हिन्दुस्तान हमारा है. जहाँ हमारा ताज-महल है और क़ुतब-मीनारा हैजहाँ हमारे मन्दिर मस्जिद सिखों का …
दोनों ओर प्रेम पलता है।सखि, पतंग भी जलता है हा!दीपक भी जलता है! सीस हिलाकर दीपक कहता–’बन्धु वृथा ही तू क्यों दहता?’पर पतंग पड़ कर ही रहता कितनी विह्वलता …
हरि-सिर बाँकी बिराजै।बाँको लाल जमुन तट ठाढ़ो बाँकी मुरली बाजै।बाँकी चपला चमकि रही नभ बाँको बादल गाजै।’हरीचंद’ राधा जू की छबि लखि रति मति गति भाजै॥
वृक्ष हों भले खड़ेहों घने, हों बड़ेएक पत्र छाँह भीमांग मत! मांग मत! मांग मत!अग्निपथ! अग्निपथ! अग्निपथ! तू न थकेगा कभीतू न थमेगा कभीतू न मुड़ेगा कभीकर शपथ! कर …
इन्साफ़ की डगर पे, बच्चों दिखाओ चल केये देश है तुम्हारा, नेता तुम्हीं हो कल के दुनिया के रंज सहना और कुछ न मुँह से कहनासच्चाइयों के बल पे आगे को बढ़ते रहनारख …